Tanot Mata Temple History Jaisalmer

तनोट माता मंदिर Tanot Mata Temple भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी इतिहास और उससे जुड़े चमत्कार इसे एक अलग पहचान दिलाते हैं। जब हम tanot mata temple की बात करते हैं, तो यह केवल आस्था की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय वीरता और चमत्कार की भी गाथा है। इस मंदिर ने दो बड़े युद्ध देखे हैं और इन युद्धों के दौरान यहां कई चमत्कारी घटनाएं घटीं। आइए इस अद्भुत मंदिर और इसके इतिहास पर एक नज़र डालें।

Tanot Mata Temple: वीरता और चमत्कार का संगम

तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 12वीं शताब्दी में हुई थी। यह मंदिर भारत-पाकिस्तान सीमा के करीब स्थित है और इसका इतिहास भारतीय सेना और देश की सुरक्षा से गहरे से जुड़ा हुआ है। tanot mata temple में सबसे महत्वपूर्ण घटना 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों से जुड़ी है, जब मंदिर के चारों ओर भारी गोलाबारी हुई, लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

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भारत-पाक युद्ध 1965 में चमत्कार

1965 के युद्ध के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने तनोट माता मंदिर पर सैकड़ों बम गिराए, लेकिन चमत्कारिक रूप से एक भी बम मंदिर पर नहीं फटा। यह घटना इस मंदिर के चमत्कारी शक्ति का एक जीवंत उदाहरण है। भारतीय सेना ने इसे माता की कृपा माना और तभी से भारतीय जवान यहां माता के दर्शन करने आते हैं। इस चमत्कार के कारण tanot mata temple भारतीय सेना के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण बन गई है।

1965 में, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया | तनोट पर हमला करने से पहले पाकिस्तानी सेना ने बुएली (किशनगढ़ से 74 किलोमीटर पूर्व में), सादेवाला से शाहगढ़ पच्छिम में, और उत्तर में अचरी टिब्बा से 6 किलोमीटर दूर तक क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था | तनोट तीनो दिशाओं से घिर चूका था | अगर एक बार शत्रु तनोट पर कब्ज़ा कर लेते तो, शत्रु रामगढ से शाहगढ़ का एरिया अपने कब्जे में ले सकते थे | इसलिए तनोट दोनों सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण था |

17 से 19 नवंबर 1965, तनोट पर तीन दिशाओं से शत्रु ने भारी बमबारी की | शत्रु तनोट पर लगातार तोप के गोले छोड़ रहे थे | इसलिए तनोट को बचाने के लिए, 13th ग्रेनेडियर्स के मेजर जय सिंह के हाथ कमांड सोपी गई | एक कंपनी और BSF की 2 कम्पनिया पूरी दुश्मन सेना का सामना कर रही थी |

जैसलमेर से तनोट जाने वाली रोड पर, गनतली माता मंदिर के पास शत्रु ने एंटी-पर्सनल और एंटी-टैंक माइंस लगाकर तनोट जाने वाली सप्लाई को रोक दिया था |

तनोट माता मंदिर के आसपास शत्रु ने लगभग 3 हज़ार बेम के गोले फेंके | लेकिन अधिकांश तोप के गोले चमत्कारिक रूप से अपना लक्षय भटक गए | मंदिर को अकेले निशाना बनकर 450 गोले दागे गए | लेकिन चमत्कारिक रूप से एक भी गोला मंदिर को अपना निशाना नहीं बना सका और मंदिर के आसपास गिर गया और नहीं फटा | मंदिर को एक खरोंच भी नहीं आई और मंदिर आज भी यु का यु खड़ा है |

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सालघटना
1965भारत-पाक युद्ध के दौरान मंदिर पर बमबारी, कोई नुकसान नहीं हुआ।
1971दूसरे युद्ध में भी माता ने अपनी चमत्कारी शक्ति दिखाई।

तनोट माता मंदिर और भारतीय सेना का जुड़ाव

1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी तनोट माता की कृपा से भारतीय सेना ने विजय प्राप्त की। आज भी मंदिर की देखभाल भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा की जाती है। tanot mata temple में भारतीय सेना का योगदान महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्थान देशभक्ति और आस्था दोनों का प्रतीक है। भारतीय जवान यहां माता से आशीर्वाद लेने आते हैं, खासकर युद्ध के समय।

Tanot Mata के चमत्कारी किस्से

तनोट माता के चमत्कारी किस्से पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध हैं। लोग कहते हैं कि यहां माता अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। “1965 और 1971 के युद्धों में माता ने जो चमत्कार दिखाए, वे आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था का विषय बने हुए हैं।” यहां आने वाले भक्त माता से अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का समाधान मांगते हैं और माता उनकी मदद अवश्य करती हैं। इसी कारण tanot mata temple में माता का स्थान सर्वोपरि है।

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तनोट माता मंदिर तक कैसे पहुंचे?

Tanot Mata Temple जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर भारत-पाकिस्तान सीमा के निकट स्थित है, इसलिए यहां पहुंचने के लिए आपको BSF की अनुमति की आवश्यकता होती है। मंदिर तक जाने के लिए जैसलमेर से टैक्सी या बस की सुविधा उपलब्ध है। यहां आने वाले पर्यटक मंदिर में पूजा-अर्चना करने के साथ-साथ पास के लौंगेवाला युद्ध स्थल को भी देख सकते हैं।

Tanot Mata Temple से जुड़े कुछ सामान्य सवाल

1. तनोट माता मंदिर की विशेषता क्या है?
यह मंदिर अपनी चमत्कारी शक्तियों और भारतीय सेना से जुड़े इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।

2. क्या तनोट माता के दर्शन के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता है?
मंदिर तक पहुंचने के लिए BSF से अनुमति लेनी होती है क्योंकि यह सीमा क्षेत्र में स्थित है।

3. क्या तनोट माता मंदिर में रहने की सुविधा है?
हाँ, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला की सुविधा उपलब्ध है।

tanot mata temple से जुड़ी मुख्य बातें

  1. चमत्कारी शक्ति: 1965 और 1971 के युद्धों में माता ने मंदिर को सुरक्षित रखा।
  2. सेना का संरक्षण: मंदिर की देखभाल आज भी भारतीय सेना करती है।
  3. आस्था का केंद्र: हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
  4. पर्यटन स्थल: जैसलमेर आने वाले पर्यटकों के लिए यह मंदिर एक प्रमुख आकर्षण है।

निष्कर्ष:

तनोट माता मंदिर का इतिहास हमें वीरता, आस्था और चमत्कारों की अद्भुत कहानियाँ सुनाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भारतीय सेना के इतिहास में भी इसका विशेष स्थान है।