भारत के राजपूत समुदाय में कुलदेवी का स्थान विशेष होता है। सदियों से राजपूत परिवारों में कुलदेवी की पूजा की जाती है | जो वंश और गोत्र से जुड़ी होती है। इस ब्लॉग में हम “कुलदेवी का राजपूत वंश और गोत्र” में महत्व समझेंगे। “Kuldevi of Rajput” के रूप में देवी को हर घर में एक विशेष स्थान प्राप्त है। ये देवी न केवल परिवारों की रक्षा करती हैं बल्कि हर कदम पर उनका मार्गदर्शन भी करती हैं।
कुलदेवी का राजपूत वंश में महत्व
राजपूतों में वंश और गोत्र का रिश्ता गहरा है। हर राजपूत गोत्र की अपनी कुलदेवी होती है, जो पूरे वंश की रक्षक मानी जाती है। हम मानते हैं कि कुलदेवी के आशीर्वाद से ही हमारे वंश की रक्षा होती है और हमें हर संकट से मुक्ति मिलती है। Kuldevi of Rajput हमेशा वंश की रक्षा के लिए जानी जाती हैं। यही वजह है कि पीढ़ियों से कुलदेवी की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
राजपूत वंशों में कुलदेवी की पूजा:
- प्रत्येक राजपूत परिवार अपने वंश की कुलदेवी की पूजा करता है।
- कुलदेवी को वंश की सुरक्षा और समृद्धि की देवी माना जाता है।
राजपूतो को तीन वंशो में बांटा गया है सूर्यवंशी, चंद्रवंशी, अग्निवंशी | इन तीनो में से प्रतियेक वंश वापस अलग अलग शाखा, वंश और कुल में बांटे गए है | कुल किसी भी राजपूत वंश की प्राथमिक पहचान होती है | प्रतियेक कुल की रक्षा उनके परिवार के देवता या कुलदेवी करती है | नीचे अलग अलग कुल व उनकी कुलदेवी का नाम दिया गया है |
List of The Kuldevi of Rajput (सभी वंश की कुलदेवी)
Vansh KuldeviVansh Kuldevi
राठौड़ नागणेचिया | गहलोत बाणेश्वरी माता |
कछवाहा जमवाय माता | दहिया कैवाय माता |
गोहिल बाणेश्वरी माता | चौहान आशापूर्णा माता |
बुन्देला अन्नपूर्णा माता | भारदाज शारदा माता |
चंदेल मेंनिया माता | नेवतनी अम्बिका भवानी |
शेखावत जमवाय माता | चुड़ासमा अम्बा भवानी माता |
बड़गूजर कालिका(महालक्ष्मी)माँ | निकुम्भ कालिका माता |
भाटी स्वांगिया माता | उदमतिया कालिका माता |
उज्जेनिया कालिका माता | दोगाई कालिका(सोखा)माता |
धाकर कालिका माता | गर्गवंश कालिका माता |
परमार सच्चियाय माता | पड़िहार चामुण्डा माता |
सोलंकी खीवज माता | इन्दा चामुण्डा माता |
जेठंवा चामुण्डा माता | चावड़ा चामुण्डा माता |
गोतम चामुण्डा माता | यादव योगेश्वरी माता |
कौशिक योगेश्वरी माता | परिहार योगेश्वरी माता |
बिलादरिया योगेश्वरी माता | तंवर चिलाय माता |
हैध्य विन्ध्यवासिनि माता | कलचूरी विन्धावासिनि माता |
सेंगर विन्धावासिनि माता | भॉसले जगदम्बा माता |
दाहिमा दधिमति माता | रावत चण्डी माता |
लोह थम्ब चण्डी माता | काकतिय चण्डी माता |
लोहतमी चण्डी माता | कणड़वार चण्डी माता |
केलवाडा नंदी माता | हुल बाण माता |
बनाफर शारदा माता | झाला शक्ति माता |
सोमवंश महालक्ष्मी माता | जाडेजा आशपुरा माता |
वाघेला अम्बाजी माता | सिंघेल पंखनी माता |
निशान भगवती दुर्गा माता | बैस कालका माता |
गोंड़ महाकाली माता | देवल सुंधा माता |
खंगार गजानन माता | चंद्रवंशी गायत्री माता |
पुरु महालक्ष्मी माता | जादोन कैला देवी (करोली ) |
छोकर चन्डी केलावती माता | नाग विजवासिन माता |
राउलजी क्षेमकल्याणी माता | चंदोसिया दुर्गा माता |
सरनिहा दुर्गा माता | सीकरवाल दुर्गा माता |
किनवार दुर्गा माता | दीक्षित दुर्गा माता |
काकन दुर्गा माता | तिलोर दुर्गा माता |
विसेन दुर्गा माता | निमीवंश दुर्गा माता |
निमुडी प्रभावती माता | नकुम वेरीनाग बाई |
वाला गात्रद माता | स्वाति कालिका माता |
कुलदेवी की पूजा की परंपरा (Kuldevi of Rajput)
राजपूत वंशों में कुलदेवी की पूजा केवल त्योहारों पर ही नहीं | बल्कि जीवन के हर महत्वपूर्ण क्षण में की जाती है। विवाह, जन्म, और अन्य संस्कारों में कुलदेवी का आशीर्वाद लिया जाता है। हमारे जीवन में हर संकट और चुनौती के समय कुलदेवी का आशीर्वाद एक ढाल की तरह काम करता है।
- प्रत्येक परिवार कुलदेवी के मंदिर में सालाना पूजा करने जाता है।
- विशेष अवसरों पर कुलदेवी की विशेष पूजा आयोजित की जाती है।
- कुलदेवी का मंदिर गांव या किले के अंदर होता है, जो वंश की सुरक्षा करता है।
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