History of Chauhan Rajput

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Prithviraj Chauhan

Ancient History of Chauhan Rajput

चौहान राजपूतो को चाहूमन नाम से भी जाना जाता है | चाहूमन ही वो पुरुष था जिसकी वजह से चौहान वंश की उत्पत्ति हुई | चाहूमन सभी राजपूतो में बहादुर था | चाहूमन की कुल 26 शाखाएं है | हाडा, देवड़ा, सोनगरा आदि अपनी वीरता के लिए जाने जाते है |

चाहूमन का मतलब चार हाथो वाला, चतुष्कोष |

एक पौराणिक कथा के अनुसार राक्षशो से लड़ने के लिए ब्राह्मणो द्वारा वीर भेजे गए थे, उनमे से केवल चौहानो ने उन राक्षशो को हराया था |

माउंट आबू की पहाड़ियों पर कुछ भिक्षु और ब्राह्मण यज्ञ कर रहे थे | कुछ राक्षश वहां आये और उन भिक्षुओ को परेशान करना शुरू कर दिया | इसलिए भिक्षुओं ने राक्षशो को रोकने के लिए एक यज्ञ कुंड का निर्माण किया | लेकिन राक्षशो ने यज्ञ कुंड में हड्डिया और मॉस फेकना शुरू कर दिया |

इसलिए राक्षशो को रोकने के लिए, भिक्षुओ ने भगवान महादेव की प्रार्थना करना शुरू कर दिया | प्रार्थना के बाद, अग्नि कुंड से एक पुरुष पैदा हुआ | लेकिन वह किसी योद्धा की तरह नहीं लग रहा था | इसलिए भिक्षुओ ने उसे द्वारपाल बना दिया | इसके बाद दूसरा पुरुष उस अग्नि कुंड से पैदा हुआ | उसका नाम चालुक रखा गया | इसी तरह एक तीसरा पुरुष अग्नि कुंड से निकला, ब्राह्मणो ने उसे परमार नाम दिया | 

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Chauhan Rajput Logo

ब्राह्मणो ने फिर से प्रार्थना शुरू कर दी | और आखिरकार अग्नि कुंड से एक पुरुष पैदा हुआ जो युद्ध के कपडे पहने हुए था और जिसकी ललाट पर तेज था | उस पुरुष के एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में तलवार थी | ब्राह्मणो ने उसे चौहान नाम दिया | ब्राह्मणो ने चौहान को राक्षशो से लड़ने को भेजा |

राक्षशो की हार से भिक्षु और ब्राह्मण बहुत खुश थे | चौहानो ने अपना नाम उसी चौहान पुरुष की वजह से पाया | पृथ्वीराज चौहान भी इसी चौहान वंश में पैदा हुए |

Anhil (प्रथम पुरुष) को चौहानो का आदि पुरुष कहा जाता है | Anhil से पृथ्वीराज चौहान तक कुल मिलकर चौहानो के 39 राजा हुए |

चौहानो को 24 शाखाओं में बांटा गया है | वर्तमान में कोटा और बूंदी (राजस्थान) के चौहान वंश काफी मशहूर है |

गागरोन के खींची, सिरोही के देवड़ा, जालोर के सोनगरा, सूर्यबह और सांचोर के चौहान, पावागढ़ के पावेचे अपनी बहादुरी के लिए लोकप्रिय है |