Gangaur Geet Traditional Songs of Rajasthan

गणगौर की बहुत बहुत शुभकामनाये | गणगौर भारत के राजस्थान में मनाया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है | गणगौर के त्यौहार में युवतियों और शादी शुदा महिलायो द्वारा एक बर्तन में गेहूं, जौ उगाए जाते है | यह धन दौलत, खुशहाली, उन्नति का प्रतिक होता है | तो आप भी मनाइए इस त्यौहार को और अपने सगे सम्बन्धियों को शुभकामनाये दीजिये | Gangaur Geet

Gangaur Geet का महत्व

गणगौर पर्व का जश्न मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व नारी शक्ति, समर्पण और वैवाहिक जीवन की सौभाग्यशाली कामनाओं से जुड़ा होता है। Gangaur Geet इस अवसर पर विशेष रूप से गाए जाते हैं, और इन गीतों के माध्यम से महिलाएं अपने परिवार और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। ये गीत पारंपरिक वेशभूषा में गाए जाते हैं और इनमें राजस्थान की धरती की खुशबू बसी होती है।

गणगौर गीतों का एक बड़ा महत्व यह है कि ये हमारी परंपराओं को पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रखने में मदद करते हैं। हर महिला अपनी मां या दादी से ये गीत सीखती है और इस तरह यह संस्कृति आगे बढ़ती है।

gangaur-geet-rajasthan

गणगौर पर्व और गीतों का इतिहास

गणगौर पर्व का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के विवाह का प्रतीक है। इस दौरान महिलाएं देवी पार्वती की पूजा करती हैं और उनके सम्मान में Gangaur Geet गाए जाते हैं। ये गीत वैवाहिक जीवन की शुभकामनाओं से भरे होते हैं और इनमें प्रेम, समर्पण और विश्वास की झलक मिलती है।

राजस्थान की महिलाओं के लिए यह पर्व खास होता है क्योंकि यह उन्हें अपने जीवन साथी के लिए कुछ करने का मौका देता है। इन गीतों के माध्यम से महिलाएं अपने दिल की भावनाओं को व्यक्त करती हैं और अपने परिवार के लिए मंगल कामनाएं करती हैं।

Gangaur Geet

Geet 1

ऊँचो , चवरो , चोकुंटो , जल जमना रो नीर मंगाय।

जठ ईशर जी सांपज ,बाई गवरा गवर पूजाय।

गवर पूजावंता यूं केब ,सायब आ जोड़ी अबछाल राख

अबछल पीवर सासरो , ए बाई ,अब छल सो परिवार ,

ऊँचो चवरो चोकुंटो जल जमना रो नीर मंगाय।

( अपने घर वालो के नाम लेते जाएँ )

Geet 2

ईशरदास जी बीरो चूनड़ी रंगाई

बाई रोवां के दाय नहीं आई रे

नीलगर ओज्यूँ रंग दे म्हारी चुनड़ी

अल्ला रंग दे पल्ला रंग दे।

म्हारे माथे पे मोरिया छपाई दे नीलगर।

( भाई बहन का नाम लेना हैं।

ईशरदास जी की जगह भाई का नाम

और रोवा की जगह बहन का नाम )

Geet 3

चम्पा री डाली , हिन्डो माण्डयो , रेशम री गज डोर।

जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।

म्हारे हिंडोल इशरदास जी पधारया , ले बाई गवरा ने साथ।

जी ओ म्हे हिन्डो माण्डयो।

होले से झोटो दिया ओ पातलीया डरप लो नाजूक जीव।

जी ओ म्हे हिंडो मण्डियों।

चम्पल री डाली हिंडो मांडियो ,रेशम री गज डोर।

जी ओ म्हे हिंडो मंड्यो।

( बेटी जवाई के नाम लेते जाएँ )

Geet 4

गौर गौर गोमती ईसर पूजे पार्वती

पार्वती का आला-गीला , गौर का सोना का टीका

टीका दे , टमका दे , बाला रानी बरत करयो

करता करता आस आयो वास आयो

खेरे खांडे लाडू आयो , लाडू ले बीरा ने दियो

बीरो ले मने पाल दी , पाल को मै बरत करयो

सन मन सोला , सात कचौला , ईशर गौरा दोन्यू जोड़ा

जोड़ ज्वारा , गेंहू ग्यारा , राण्या पूजे राज ने ,

म्हे पूजा सुहाग ने

राण्या को राज बढ़तो जाए , म्हाको सुहाग बढ़तो जाय ,

कीड़ी- कीड़ी , कीड़ी ले , कीड़ी थारी जात है ,

जात है गुजरात है ,

गुजरात्यां को पाणी , दे दे थाम्बा ताणी

ताणी में सिंघोड़ा , बाड़ी में भिजोड़ा

म्हारो भाई एम्ल्यो खेमल्यो , सेमल्यो सिंघाड़ा ल्यो

लाडू ल्यो , पेड़ा ल्यो सेव ल्यो सिघाड़ा ल्यो

झर झरती जलेबी ल्यो , हरी -हरी दूब ल्यो ,

गणगौर पूज ल्यो

इस तरह सोलह बार बोल कर आखिरी में

बोले एक-लो , दो-लो , तीन लो ….. सोलह-लो ।

Geet 5

गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी

बाहर ऊबी थारी पूजण वाली।

पूजो ए पूजो बाईयां , काई काई मांगों

म्हे मांगा अन्न धन , लाछर लक्ष्मी।

जलहर जामी बाबुल मांगा, राता देई मायड़

कान कंवर सो बीरो मांगा , राई सी भौजाई।

ऊँट चढयो बहनोई मांगा , चूंदड़ वाली बहना

पूस उड़ावन फूफो मांगा , चूड़ला वाली भुवा।

काले घोड़े काको मांगा , बिणजारी सी काकी

कजल्यो सो बहनोई मांगा , गौरा बाई बहना।

भल मांगू पीहर सासरो ये भल मांगू सौ परिवार ये

गौर ए गणगौर माता खोल ए किवाड़ी।

Geet 6

चमकण घाघरो चमकण चीर ,

बोलबाई रोवां कुण थारा बीर

बड़ो बड़ो म्हारो ईशरदास बीर

बांसयुं छोटो कानीराम बीर

चुनरी ओढावे म्हारो ईशरदास बीर

माय स्यु मिलावे म्हारो छोटो कानीराम बीर।

चमकण लागे घाघरा चमकण चीर …

( भाई का बहन का नाम लेते हैं )

Geet 7

अम्बो तो जाम्बा टीकी , पाना तो पल्ला टीकी

हरो नगीनों टीकी सोना की

या टीकी गौरा बाई ने सोवे

ईशरदास जी बैठ घडावे टीकी

अम्बो तो जाम्बा

( इसी प्रकार सबके नाम लेने हैं )

Geet 8

गौर थारो चोपडो माणक मोती छायो ऐ

माणक मोती छायो ऐ यो तो सच्चा मोती धायो ऐ

ब्रह्मदास जी रा ईसरदास जी रोली रंग लाया ऐ

ईसरदास जी रा कानीराम जी परण पधराया ऐ

परण पधारया वाकी माया टीका काड़या ऐ

रोली का वे टीका काड़या ऊपर चावल चेपया ऐ

गौर थारो चोपडो माणक मोतिया छायो ऐ

माणक मोतिया छायो ऐ वो तो सच्चा मोती छायो ऐ।

(ब्रह्मदास जी की जगह दादा ससुर जी का ,

ईसरदास की जगह पति का और

कानीराम जी की जगह पुत्र का नाम लेना चाहिए )

Geet 9

म्हारा हरिया जंवारा ओ राज लंबा-तिखा सरस बदृया

म्हारा लुणीया जंवारा हो लांबा-तिखा सरस बदृया…

ये तो सुरजीरा बाया हो राज, रेणा दे जी सिंच लिया

ये तो इसरजीरा बाया ओ राज, गोरा दे जी सिंच लिया

ये तो सासु बहुरा सिंच्या ओ राज, गहुडा पिला पड रह्या

बाईसा तो गड सिंच्या ओ राज, लांबा-तिखा सरस बदृया

म्हारो दूध भरो कटोरो ओ राज, बाई रोवा पीव लिया

म्हारो गेना भरीयो डाबो ओ राज, बाई सोवा पेर लिया

म्हारी पचरंगी चुंदडी ओ राज, बाई गोरां ओढ लिया

म्हारा हरिया जंवारा …

Geet 10

पाटो धोये पाटो धो , भायां को बहन पाटो धो, पाटा ऊपर पीलो पान , महे जाश्या बीरा की

जान,

जान जाश्या पाँ खास्या, बीरा ने परंणाशयां

थाली में खाजा, म्हारो बीरो राजा थाली में पताशा बीरो करे तमाशा

चूडो धो ये चूडो धो, भायां को बहन चूडो धो, पाटा ऊपर पीलो पान,

म्हे जाश्या बीरा को जान,

जान जाश्या पान खाश्या, बीरा ने परंणाशयां

थाली में खाजा, म्हारो बीरो राजा थाली में पताशा बीरो करे तमाशा

Geet 11

एल खेल नदी बेव ओ पाणी कठ जासी रे,

आधो जासी अल्या गल्या आधो इसर न्हासी रे,

इसरजी न्हाया धोया गोरा बाई न्हासी रे,

गोराबाई क बेटो हुयो भुवा बधाई ल्यासी रे,

अरदा ताणों परदा ताणों बांदरबाल बंधाओ रे,

सार केरी सुई ल्याओ पाट करा बांगा रे,

आवो रे भतीजा थांकी भुवा ल्याई बागा रे,

भुवाक भरोसे जी भतीजा रेग्या नागा रे,

Geet 12

पग दे पावडिया, ईसरदास जी चढया, लैर बाई रोवां, देवो ना सभी देव आशीष जी

पग दे पावडिया, कानीराभ चढया, लैर बाई रोवां, देवो ना सभी देव आशीष जी

गणगौर गीतों की संरचना और शैली

Gangaur Geet आमतौर पर सरल और भावनात्मक होते हैं। इनमें राजस्थान की मिठास, त्याग और समर्पण की गहरी भावना होती है। इन गीतों में लोक संगीत का मेल होता है और उन्हें पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ गाया जाता है। ढोलक, मंजीरा और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों की धुनें इन गीतों में एक खास लय प्रदान करती हैं।

गणगौर गीतों में साधारण शब्द होते हैं, लेकिन उनका प्रभाव गहरा होता है। हर गीत में एक भावनात्मक जुड़ाव होता है, जो इसे सुनने वाले हर व्यक्ति को अंदर तक प्रभावित करता है।

राजस्थान में गणगौर पर्व का आयोजन

राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में गणगौर का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। विशेष रूप से जयपुर, उदयपुर, और जोधपुर में यह पर्व भव्य रूप से मनाया जाता है। गणगौर पर्व के दौरान महिलाएं सज-धज कर गीत गाती हैं और अपने परिवार की खुशहाली के लिए देवी गणगौर से आशीर्वाद मांगती हैं।

इस पर्व की रौनक उस समय और बढ़ जाती है जब महिलाएं टोली बनाकर Gangaur Geet गाती हैं। यह सांस्कृतिक आयोजन सामाजिक मेलजोल का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां लोग एकत्र होकर एक-दूसरे के साथ खुशियां बांटते हैं।

Gangaur Geet का महत्व आज के समय में

आज के समय में भी Gangaur Geet अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। आधुनिकता के बावजूद, ये गीत हमारे समाज को उसकी जड़ों से जोड़े रखते हैं। राजस्थान के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इस पर्व की धूम आज भी वैसी ही है, जैसी सदियों पहले थी।

गणगौर गीतों के प्रकार

गणगौर गीतों को कई श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

  1. पूजन गीत: ये गीत देवी गणगौर की पूजा के समय गाए जाते हैं।
  2. विवाह गीत: विवाह से जुड़े शुभ अवसरों पर गाए जाते हैं।
  3. विदाई गीत: विदाई के समय गाए जाने वाले ये गीत परिवार की भावनाओं को व्यक्त करते हैं।
  4. सामूहिक गीत: महिलाएं समूह में गाती हैं, जिससे सामूहिकता और एकजुटता का अनुभव होता है।
गणगौर गीत के प्रकारवर्णन
पूजन गीतपूजा के समय गाए जाने वाले पारंपरिक गीत
विवाह गीतवैवाहिक जीवन की शुभकामनाओं वाले गीत
सामूहिक गीतमहिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से गाए जाने वाले गीत

हमारे संस्कार और परंपराएं

हम सभी जानते हैं कि हमारी परंपराएं हमें हमारे पूर्वजों से जोड़ती हैं। गणगौर गीत भी इस कड़ी का हिस्सा हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम इन गीतों को अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। Gangaur Geet राजस्थान की संस्कृति को पूरी दुनिया में फैलाने में एक अहम भूमिका निभाते हैं।

“परंपराएं हमें हमारे अतीत से जोड़ती हैं और इनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।”

गणगौर गीतों के प्रमुख तत्व

  1. संस्कृति का प्रतीक:गणगौर गीत हमारे समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं।
  2. मधुर धुनें: इन गीतों में संगीत की मधुरता होती है, जो सुनने वालों को मोहित कर देती है।
  3. समाज की एकता:गणगौर गीतों के माध्यम से समाज में एकता और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा मिलता है।

मुख्य बातें (Key Takeaways)

  • गणगौर गीत राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं।
  • यह पर्व महिलाओं के समर्पण और प्रेम का प्रतीक है।
  • गणगौर गीत पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को जीवित रखते हैं।
  • यह गीत हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. Gangaur Geet किस पर्व के लिए गाए जाते हैं?
गणगौर गीत राजस्थान के गणगौर पर्व के दौरान गाए जाते हैं, जो देवी पार्वती को समर्पित होता है।

2. गणगौर गीतों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
गणगौर गीतों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के समर्पण और वैवाहिक जीवन की मंगल कामनाओं को दर्शाना है।

3. क्या आज के समय में गणगौर गीत प्रासंगिक हैं?
हां, आज भी Gangaur Geet राजस्थान की परंपराओं में गहरे जुड़े हुए हैं और आधुनिक समय में भी इनका महत्व है।

हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने के लिए Gangaur Geet एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजस्थान की महिलाएं आज भी इन्हें गा कर अपने परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं। अगर आप भी राजस्थान की इस समृद्ध संस्कृति का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो गणगौर पर्व में शामिल होकर इन गीतों की मिठास का आनंद लें।

#GangaurGeet #GangaurFestival #GangaurSongs #RajasthanFolkMusic #GangaurTradition